Avinash Pathak 9059th day

Make Bharat Great Again बस यही चलता है मस्तिस्क मे अभी 


8.54 - ये रोग तब लगा 2012 मैंने चूतिये को चुतिया बोलने मे परहेज नही किया, चापलूसों को देखता हूँ सोचता हूँ इनका जीवन मस्त है चाट कर मीठा बोलकर साले क्या ही कर लेते......मेरे जितने करीबी मित्र है वो ये अच्छे से जानते, भगत सिंह, गांधी, कुछ ने बाबा जैसी उपाधियाँ प्रदान की मे ....... कुछ भी हो सत्य का प्रभाव बड़ा सुंदर है मे किसी भी जितना जाति धर्म के लताड़ता हु तो लोग सम्मान और करते .... क्योकि सत्य ही समाज को सुधार सकता है इसी पर आधारित मेरी एक और पुस्तक ' *Social Comdey* मे पूरी करना चाहता हूँ, बिना डरे मे झूट को झूट सच को सच कहना चाहता बस,   जब मे मरु तो मन मे मलाल विल्कुल न हो हर लेखक सायद यही चाहता हो... 

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